(गुरिंदर आज़ाद) Gurinder Azad 1987 में खालिस्तान की मांग उठी। एक अलग स्टेट, सिख स्वायत्तता के साथ। पंजाब में उस वक़्त की सामाजिक राजनितिक हलचलें आप ज़्यादातर लोग जानते हैं तो थोड़ा संक्षेप में बात रखता हूँ। 1978 की ‘खूनी’ बैसाखी जिसमे स्टेट स्पॉन्सर्ड ‘हिंदूवादी’ निरंकारियों के हाथों 13 सिख मारे गए और 1984 …
फिल्म पार्च्ड और स्त्रीवाद: क्या सब औरतों की कहानी एक है?
आशा सिंह कई दिनों से देख रही हूँ कि हमारे दलित-बहुजन साथी लीना यादव की फिल्म Parched की तारीफ कर रहे हैं। मेरे इस आलेख का आधार इस फिल्म की विषयवस्तु और इसके निर्देशक का साक्षात्कार है (देखें National Dastak, You Tube)।i फिल्म लज्जो, बिजली, रानी नामक तीन तथाकथित ‘ग्रामीण’ महिला किरदारों की कहानी है। लज्जो ‘बाँझ’ है, …