Tejaswini Tabhane “Revising our past time and again.It drives me insane,Like a stream of current flowing through my vein,Squeezing out all the gray matters of my brain.I see too many patches of caste slavery stains.In this very lane,We will blow up Manu’s kingdom no one us can restrain.We busting all your myths, learn from …
वे अपनी आंखों में समानता स्वतंत्रता का नीला सपना लिए चले थे
अनिता भारती (Anita Bharti) ओम प्रकाश वाल्मीकि जी को याद करते हुए हमने अपनी समूची घृणा को/ पारदर्शी पत्तों में लपेटकर/ ठूँठे वृक्ष की नंगी टहनियों पर टाँग दिया है/ताकि आने वाले समय में/ ताज़े लहू से महकती सड़कों पर/ नंगे पाँव दौड़ते सख़्त चेहरों वाले साँवले बच्चे/ देख सकें कर सकें प्यार/दुश्मनों के बच्चों में/ अतीत …