Vruttant Manwatkar रसिक-रोमानी दिन है आएँहंगामे का ‘फैशन’ लाएँ.“अभिव्यक्ति की आज़ादी दो!”जीने का हक़ भाड़ में जाये. क्रांति दम्भ में लाल जवानीरंग, उत्सव में बदलती है. आज भी जब जब चौराहे परअवर्ण औरत जलती है.
Bahujan Poetry
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